बाबा साहेब के अपमान के आरोप में सपा लोहिया वाहिनी के खिलाफ एफआईआर के आदेश
लखनऊ में समाजवादी पार्टी के पोस्टर पर मचा बवाल, एससी एसटी आयोग ने पुलिस आयुक्त को दी कार्रवाई की सिफारिश

Lucknow: भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के अपमान के मामले में उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने इस प्रकरण का स्वतः संज्ञान लेते हुए लखनऊ पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि दोषियों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के तहत एफआईआर दर्ज की जाए और सख्त कार्रवाई की जाए।
विवाद उस समय शुरू हुआ जब समाजवादी लोहिया वाहिनी के एक पोस्टर में डॉ. आंबेडकर के चित्र के आधे हिस्से पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का चित्र लगाया गया। लोहिया वाहिनी के पदाधिकारियों का कहना है कि अखिलेश यादव में उन्हें बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर का प्रतिबिंब दिखता है।
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत ने इस कृत्य को बाबा साहेब का घोर अपमान करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक पोस्टर नहीं, बल्कि दलित समाज की आस्था के साथ किया गया बड़ा खिलवाड़ है। समाज इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।”
रावत ने समाजवादी पार्टी और उसके नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, “सपा की फितरत रही है कि वह महापुरुषों का अपमान करती है और राष्ट्रविरोधियों का महिमामंडन करती है। यह सोच बेहद खतरनाक और समाज को बांटने वाली है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सत्ता में रहते या विपक्ष में, सपा ने हमेशा बाबा साहेब और दलित समाज का अपमान किया है। उन्होंने मांग की कि समाजवादी पार्टी इस “घृणित कृत्य” के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।
आयोग ने लखनऊ पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए। साथ ही आयोग ने 5 मई को सुबह 11:30 बजे इस प्रकरण में आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया है।
यह मामला सिर्फ एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि एक संवेदनशील सामाजिक प्रश्न बन चुका है, जिससे दलित समाज की भावनाएं सीधे तौर पर जुड़ी हैं।