स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश से खराब हो सकता है डॉक्टरों का प्लान

Lucknow: परिवार के साथ गर्मी की छुट्टियां मनाने का प्लान कर रहे डॉक्टरों की खुशियों पर पानी फिर सकता है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने चिकित्सा संस्थानों के डाक्टरों के ग्रीष्मकालीन अवकाश निरस्त करने का आदेश जारी किया है।
पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए थे। दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच तनाव को देखते हुए अस्पतालों को अलर्ट किया था जिस वजह से डाक्टरों को चौबीस घंटे डयूटी पर रहने की एडवाइजरी जारी की गई थी। अब दोनों देशों के बीच हालात भले ही बदल गए हों मगर स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय के अण्डर सेक्रेटरी अमित कुमार शर्मा ने बुधवार को चिकित्सा संस्थानों के डाक्टरों की ड्यूटी रदद किए जाने का आदेश जारी कर दिया है।
हालांकि यूपी में अभी इस आदेश को लेकर अफसर कोई फैसला नहीं ले पाए हैं। यही वजह है कि चिकित्सा संस्थानों के डाक्टर यह समझ नहीं पा रहे कि उन्हें 16 मई से अवकाश मिलेगा या नहीं। केजीएमयू के प्रवक्ता डा. सुधीर सिंह का कहना है कि उन्हें अभी ऐसे कोई निर्देश नहीं मिले हैं। राज्य सरकार की ओर से कोई दिशा-निर्देश मिलने के बाद ही वह इस बारे में कुछ कह सकते हैं।
मालूम हो कि सभी चिकित्सीय संस्थानों में ग्रीष्मकालीन अवकाश होता है। डॉॅक्टर गर्मी की छुट्टी पर चले जाते हैं। यूपी में संजय गांधी पीजीआई (SGPGI), केजीएमयू KGMU) और लोहिया संस्थान (RMLIMS) समेत संस्थानों में गर्मी की छुट्टियां दो माह की होती हैं। इनमें सभी डॉक्टरों को एक-एक महीने का अवकाश मिलता है। पहले चरण में आधे डाक्टर एक माह की छुट्टी पर जाते हैं। उनके लौटने पर शेष आधे डाक्टर एक माह का अवकाश लेते हैं। 16 मई से 15 जुलाई तक होने वाले ग्रीष्मकालीन अवकाश के लिए आधे डॉक्टरों ने छुट्टी के लिए आवेदन भी दे दिया है और अपने परिवार के साथ घूमने जाने की प्लान भी बना चुके हैं। अब यदि अवकाश निरस्त होता है तो उनकी इस योजना पर पानी फिर सकता है।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में 600 के करीब नियमित चिकित्सा शिक्षक हैं। संस्थान में रोजाना ओपीडी में सात हजार के लगभग मरीज आते हैं। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में करीब 150 डॉक्टर हैं और ओपीडी करीब 3000 मरीजों की होती है। एसजीपीजीआई में 250 डॉक्टर तैनात हैं और ओपीडी में रोजाना ढाई से तीन हजार मरीज आते हैं। ऐसे में छुट्टी कैंसिल होने पर डॉॅक्टरों को जरूर मायूसी होगी लेकिन मरीजों को राहत मिल सकती है।