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लखनऊ में व्यंग्य की महफ़िल, “सच बोलना पाप है” का हुआ पाठ

लखनऊ: आज एसआर कॉलेज में आयोजित व्यंग्य वार्ता कार्यक्रम में प्रख्यात व्यंग्यकार पंकज प्रसून ने अपनी नई किताब “सच बोलना पाप है” की रचनाओं का पाठ कर श्रोताओं को ठहाकों और गहरी सोच में डुबो दिया।

पंकज प्रसून ने अपनी रचनाओं के जरिए लखनवी तहज़ीब और सामाजिक व्यवहार को व्यंग्यात्मक तरीके से पेश किया। उन्होंने कहा, “लखनवी तहज़ीब का असली प्रतिनिधि सिटी बस का कंडक्टर होता है, जो तब तक ‘आइए जनाब’ कहता रहता है जब तक हर सीट भर न जाए।” उनका तकिया कलाम “रगड़ खाइए कि आप लखनऊ में हैं” ने श्रोताओं के बीच जबरदस्त ठहाके बटोरे।

सोशल मीडिया पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “हम बनावटी संवेदनाएँ अपने अंदर भर रहे हैं। आजकल दोस्त को नहीं, पोस्ट को लाइक कर रहे हैं।” इसके अलावा, कबीर के दोहे को नए संदर्भ में बदलकर पेश करते हुए उन्होंने सुनाया:
“झूठ बराबर तप नहीं, साँच बराबर पाप
जाके हिदये झूठ है, वह दुनिया का बाप।”

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि, साहित्यकार अलंकार रस्तोगी ने कहा, “पंकज के व्यंग्य हास्य की चाशनी में लिपटी कड़वी दवा की तरह होते हैं, जिनमें गहन पाठनीयता और मारक क्षमता होती है।”

दिल्ली से आए प्रकाशक अशोक गुप्ता ने व्यंग्य की ताकत पर जोर देते हुए कहा, “व्यंग्य ऐसा होना चाहिए कि सामने वाले को पिन चुभे और वह हंसते-हंसते उसकी गहराई को समझे।”

एमएलसी पवन सिंह चौहान ने लखनऊ की व्यंग्य परंपरा को पंकज प्रसून के माध्यम से नई ऊंचाई मिलती देखने की बात कही।

कार्यक्रम के दौरान खचाखच भरे सभागार में श्रोताओं की तालियाँ और ठहाके गूंजते रहे, जिससे यह आयोजन एक यादगार शाम बन गया।

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