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KGMU : बच्चे के सिर व कंधे के आर-पार हुई लोहे की रॉड, डॉक्टरों बचाई जान

Lucknow: बच्चे के सिर व कंधे के आर-पार हुई लोहे की रॉड को निकालकर केजीएमयू (KGMU) डॉॅक्टरों ने उसकी जान बचा ली। बच्चा खेलते समय तीन मंजिल छत से नीचे गिर गया था।

इस जटिल आपेरशन का नेतृत्व करने वाले न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ अंकुर (Dr. Ankur Bajaj) बजाज ने बताया कि गोमतीनगर निवासी रजनीश कुमार का तीन वर्षीय पुत्र कार्तिक शनिवार शाम को घर की छत पर खेल रहा था। खेलते-खेलते अचानक वह तीसरी मंजिल से नीचे गिर गया। लगभग 20 फीट ऊंचाई से गिरने के बाद रेलिंग की नुकीली रॉड उसके सिर और कंधे के आर-पार हो गई।

परिजन आनन-फानन में उसे पास के एक निजी अस्पताल ले गए, जहां ऑपरेशन का खर्च 15 लाख रुपये से अधिक बताया गया। असहाय एवं निराश परिवार रात लगभग 11.45 बजे बच्चे को लेकर केजीएमयू के ट्रामा सेन्टर पहुंचे। बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए सबसे पहले उसे स्टेबलाइज किया गया।

कंधे व सिर को आर-पार करती हुई छड़ को निकालना बड़ी चुनौती थी। रात करीब एक बजे रेलिंग कटर वाले को बुलाया गया और उसने छड़ को निकालने का प्रयास किया। कटिंग के दौरान तेज चिंगारी निकलकर बच्चे को लग रही थी, ऐसे में कटिंग को रोक दिया गया और इसी हालत सर्जरी करने का फैसला किया। सबसे बड़ी चुनौती थी, बच्चे को लिटाने की। क्योंकि छड़ सिर के एक ओर से दूसरी ओर आर-पार घुसी हुई थी। दूसरी चुनौती थी ग्रिल के कारण पुन: सीटी स्कैन संभव नहीं हो पा रहा था।

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बच्‍चे के सिर में यही ग्रिल के सरिया धंस गए थे

इन तमाम मुश्किलों को पार करते हुए केजीएमयू की न्यूरोसर्जरी टीम ने सफल ऑपरेशन किया। लगभग साढ़े तीन घंटे चली इस जटिल सर्जरी के बाद डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और लोहे की छड़ को सफलतापूर्वक बच्चे के सिर एवं कंधे से निकाल दिया गया। बच्चे की हालत अभी भी गम्भीर बनी हुई है। वह वेंटीलेटर पर है।

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सिर में बुरी तरह से धंस थे सरिया के एंगल

आपरेशन टीम में शामिल डॉक्टर

न्यूरोसर्जरी के विभाग अध्यक्ष डॉ बीके ओझा (Dr. BK Ojha) कि देख रेख सर्जरी का नेतृत्व डॉ. अंकुर बजाज ने किया ऑपरेशन में डॉ. सौरभ रैना, डॉ. जेसन और डॉ. बसु की सक्रिय भूमिका रही। ऑपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. कुशवाहा एवं डॉ. मयंक सचान की टीम तथा ट्रॉमा सर्जरी विभाग की डॉ. अनीता ने सहयोग दिया।

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सर्जरी के बाद डॉक्‍टर्स की टीम

बच्चे के पिता रजनीश कुमार के अनुसार अब तक केवल 60 हजार रुपये का खर्च आया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने आयुष्मान कार्ड बनवाने का प्रयास भी किया था, लेकिन वह समय पर बन नहीं सका। इसके बावजूद केजीएमयू में उन्हें हरसंभव मदद मिली। रजनीश कुमार धन्यवाद देते हुए कहा कि डाक्टरों के सफल प्रयासों से हमारे बच्चे को नया जीवन मिला है।

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